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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

समाज

मेरे जन्म से पहले पड़ोसी ने मांगी मेरे भाई के मृत्यु की दुआ जब हम स्कूल गए तब हमें ताश के पत्तो में उलझाया गया जब होस्टल गए तब हुई कोशिश हमें बर्बाद करने की पिता की नौकरी में कइयों ने डाला अड़ंगा कोशिश की गई हमसे हमारी जमीन छीनने की हमारे अच्छे नम्बर आने पर हमें गालियां दी गई हम वंचित रहे अपने कई संवैधानिक अधिकारों से पिता ने फसलें बोई कुछ ने उन्हें जलाया पिता ने संघर्ष किया कुछ सफलताएं मिली जीवन के कई बसन्त के बाद पिता के संघर्षों और उनकी स्नेहिल छाया में हम अपनी समृद्धि को लालायित हुए हुए उत्सुक व्यवस्थाओं को जानने को, समझने को हमने कई सपने देखे, समृद्धि के सपने, खुशहाली के सपने, हमारे सपने सिर्फ हमारे लेकिन पिताजी को संतोष नही था एक दिन यकायक शिक्षा पर बहस के दौरान उनके माथे पर उभरी थी गंभीरता की रेखाएं उन्होंने कहा था - कि तुम्हारी शिक्षा केवल हमारी समृद्धि के लिए नही अपितु आवश्यक है समाज की प्रगति के लिए भी । मैं अवाक था... कौन सा समाज ? किसकी प्रगति ?