हाथ में हाथ ले साथ चलते हुए
जमाने भर की नजरों से संभलते हुए
होके तुम में फ़ना मेरी जां सच कहूं
तुम्हें चूम ही लूंगा गले मिलते हुए
क्या बताऊं तुम कितनी हसीं लग रही
चाँद के करीब से निकलते हुए
साथ में मैं रहूं फिर भी दूरी लगे
बाँह भर लेना हमको मचलते हुए
है हकीकत या है ये सपना कोई
ख़्याल आया है यूँ ही टहलते हुए...
जमाने भर की नजरों से संभलते हुए
होके तुम में फ़ना मेरी जां सच कहूं
तुम्हें चूम ही लूंगा गले मिलते हुए
क्या बताऊं तुम कितनी हसीं लग रही
चाँद के करीब से निकलते हुए
साथ में मैं रहूं फिर भी दूरी लगे
बाँह भर लेना हमको मचलते हुए
है हकीकत या है ये सपना कोई
ख़्याल आया है यूँ ही टहलते हुए...
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