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मनमौजी..🍁

वो जो वफ़ा में डूबते हैं किधर जाया करते हैं
सुखन-ए-चंद लम्हों सा गुजर जाया करते हैं.।

ये इश्क़ भी कुछ-कुछ सियासत सा है मख़मूर
जिन्हें कुर्सी मिलती है वो संवर जाया करते हैं.।

सियासत में अब भी होती हैं गुंडों की भर्तियां
वो अलग बात है दिखावे को सब सुधर जाया करते हैं.।

देखो न ये गाँव के लोग अब भी पहले से ही तो हैं
डरते भी नही और अपनों की खातिर डर जाया करते हैं.।

ये सब छोड़ो तुम सुनो न मुझसे मेरे महबूब के किस्से
हम उसे देखते ही गोया मर जाया करते हैं.।

जब वो हमसे पूछती है कि क्या तुम्हें हमसे इश्क़ है
हम अपनी धुन के पक्के हैं हर बार मुकर जाया करते हैं.।

वैसे इस जहां में ये इश्क़ भी हैरतअंगेज ही है
कैसे भी मिलते है और कहीं भी बिछड़ जाया करते हैं..।।

                                                     - अंकेश वर्मा

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