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हमारे किस्से..🍁


उसके आँखो की गुश्ताखियों की जो मनमानी है
मेरा इतिबार करो ये जहां वालों बड़ा शैतानी है.।

किसी के इश्क़ में बेतरतीब हो जाऊं ये आसां तो नही
मेरे किरदार के माफ़िक मेरा इश्क़ भी गुमानी है.।

मेरी कमबख्त आँखें उसके नूर को समेट नही पाती 
उसका अक्स भी कुछ-कुछ परियों सा रूहानी है.।

उसके माथे को चूमती जुल्फ़ें मुझे मदहोश करती हैं 
किसी न किसी रोज़ ये बात उसको बतानी है.।

गर वो मेरे सामने रोए तो मुझे रोने से इनकार नही
मुझे तो अब सिर्फ उसी से निभानी है.।

गर उसे मुझपे एतबार न हो तो कोई आफ़त नही
मैं उसे जाने दूँगा कर्ण सा मेरा इश्क़ भी दानी है..।।

                                               - अंकेश वर्मा

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