ये मयकदे के रस्ते पर जो बहके कदम नजर आते हैं
झाँक कर देख इनमें तू हमी हम नजर आते हैं.।
जहां को जकड़ना मुट्ठी में फिर जुगनू सा उछाल देना
सिफ़त-ए-हसीन-सफ़र में भी बस ग़म नज़र आते है.।
तेरे आने से इन वादियों में रौनक-ए-बहार आई थी
तेरे जाने से अब ये रुख़सत-ए-चमन नज़र आते हैं.।
भूलने की कोशिश तूने भी की भरपूर मैंने भी की
बदनसी फिर भी देख हम तो सनम नजर आते हैं.।
इश्क़ का रोग यूँ दिल को न लगा ये मख़मूर
इश्क़-ए-बाजी में सब बेदम नजर आते हैं..।।
-अंकेश वर्मा