कोई कितना भी जकड़े मैं बस छूट जाता हूँ
मैं रिश्तों के भंवरजाल से बहुत दूर जाता हूँ.।
मुझे मिरे गाँव की चीखें रात जगाती हैं
मैं प्याले में गज़ल भरता हूँ और डूब जाता हूँ.।
निकलना तो चाहूँ मैं मुल्क की सियासत बदलने
मगर दौलत के नशे में खुद चूर जाता हूँ.।
अजब है मिरा अपनापन जताने का तरीका भी
मैं जिसे इश्क़ करता हूँ उसी को भूल जाता हूँ.।
ये तिरे-मिरे बीच जो गलतफहमियों की दीवार है
उसे तोड़ना तो चाहूँ मगर खुद टूट जाता हूँ.।
मिरी बदनसीबी मिरा पीछा नही छोड़ती मख़मूर
मैं जिसे पास चाहूँ उसी से दूर जाता हूँ..।
- अंकेश वर्मा
मैं रिश्तों के भंवरजाल से बहुत दूर जाता हूँ.।
मुझे मिरे गाँव की चीखें रात जगाती हैं
मैं प्याले में गज़ल भरता हूँ और डूब जाता हूँ.।
निकलना तो चाहूँ मैं मुल्क की सियासत बदलने
मगर दौलत के नशे में खुद चूर जाता हूँ.।
अजब है मिरा अपनापन जताने का तरीका भी
मैं जिसे इश्क़ करता हूँ उसी को भूल जाता हूँ.।
ये तिरे-मिरे बीच जो गलतफहमियों की दीवार है
उसे तोड़ना तो चाहूँ मगर खुद टूट जाता हूँ.।
मिरी बदनसीबी मिरा पीछा नही छोड़ती मख़मूर
मैं जिसे पास चाहूँ उसी से दूर जाता हूँ..।
- अंकेश वर्मा