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गजल...🍁

एक तुम ही तो थे मेरे शामो-सहर
तुम गए तो झुकी है लजा कर नजर
संग तुम्हारे ये उपवन था खिलता रहा
बिन तुम्हारे यहाँ जल गए हैं शजर

तुम जो आये तो बहने हवाएँ लगी
संग तुम्हारे थी सारी फजाएँ जगी
तेरी चौखट रही मेरी मंजिल सदा 
बिन तुम्हारे स्वप्न के हुए दर बदर
एक तुम ही तो थे मेरे शामो सहर
तुम गए तो झुकी है लजा के नजर

तुमसे रहती थी गालियां खुशी से भरी
तुमको पाने को उठती नजर सरसरी
बिन तुम्हारे रहा पीर नयनों में भी
झुक गए ये जो आये तुम्हारी खबर
एक तुम ही तो थे मेरे शामो-सहर
तुम गए तो झुकी है लजा के नजर

तुम मिले तो लगा चाँद ही आ गया
चाँदनी सारी मुझको वो पहना गया
तुमसे बिछड़े तो काली घटाएं सजी
तुम गए तो बहे हैं शहर के शहर 
एक तुम ही तो थे मेरे शामो सहर
तुम गए तो झुकी है लजा के नजर..।

© अंकेश वर्मा

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ग़ज़ल..🍁

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लाइट कैमरा एक्शन..🍁

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