इनके नहीं जा उनके पहलू में बैठ जा
ये उजाले जा टूटी सी झोपड़ी में बैठ जा
ये उजाले जा टूटी सी झोपड़ी में बैठ जा
जहाँ गमों की तेज आंधी ने उजड़े हैं आसियाने
ले खुशी के गुबार जा वहीं पर बैठ जा
वो भूखे कटोरे लिए बच्चे अब ऊंघ रहे हैं
जा उनकी आंखों में आस बन बैठ जा
जा उनकी आंखों में आस बन बैठ जा
और कर रोशन उन स्याह काली गलियों को
उठा के सर पे सूरज जा गली में बैठ जा
उठा के सर पे सूरज जा गली में बैठ जा
देख वो कमजोर रिक्शा अब रुक रहा है
तोड़ मजबूरी की जंजीर वहीं पैरों में बैठ जा
तोड़ मजबूरी की जंजीर वहीं पैरों में बैठ जा
भूखा दुखी किसान है कैद में सरपरस्ती के
ले रख दस्तार उनके सर और क़दमों में बैठ जा
ले रख दस्तार उनके सर और क़दमों में बैठ जा
मिन्नत भी अब स्वाधीनता की निशानी है
जो अधीन हैं उनकी सीने में बैठ जा
जो अधीन हैं उनकी सीने में बैठ जा
उजाले , अंधेर नगरी के कोने में बैठ जा
छीन मुफ़लिसी सबकी उनके बाजू में बैठ जा..।
छीन मुफ़लिसी सबकी उनके बाजू में बैठ जा..।
© Ankesh Verma