तुम आज आई ही हो तो मेरी भी कुछ सुनती जाओ
मेरे हसरतों के कुछ अनकहे किस्से सुनती जाओ
कभी कभी ये रातें भी दिल में काटें सी चुभती हैं
तुम्हारी बेरुखी ही सही इन्हें थोड़ा तुम भी चुनती जाओ
ये गमगीन शामें अब मुझे बहुत रुलाती हैं
भीड़ जब-तब दिल का तपन बढ़ाती है
खुशियां तो रूठी है हमसे बस दुख ही बचे है
तुम जाओगी ये तय है , थोड़े दुख तुम भी लेती जाओ
अहसान फरामोश से लगते है ये ज़माने वाले
सुनाते तो है , सुनते नही मेरी ये ज़माने वाले
मेरी खुशी और दुख की ये परवाह नही करते
मीठे बोल न सही माना , तुम थोड़ा झगड़ा ही करती जाओ
बेमतलब का झगड़ना और फिर मान जाना पल भर में
अब हमसे ये ना होगा तुम ये भी सुनती जाओ
मेरी हसरतों के कुछ अनकहे किस्से सुनती जाओ
तुम आज आई हो तो मेरी भी कुछ सुनती जाओ..!!
-अंकेश वर्मा