नारी खोजती है जीवन
उजाड़ वन रूपी घरों में
नारी दिखलाती है पथ
अपने बच्चों को
नारी दौड़ती भी है
समय और प्रतियोगिता के दौड़ में
नारी बस नारी नही है
सृजन है एक नए संसार का
एक नए भविष्य का
वो घर को घर बनाती है
वो जलाती है खुद को
परिवार की आग को शांत करने को
वो माँ है बहन है बेटी और पत्नी भी
और हर रूप में पूजनीय है
नारी आदि का भी रूप है
इसलिए तुम थोड़ा-सा गलत से प्रसाद
नारी केवल श्रद्धा नही है
नारी अनंत भी है..!