नीति -अनीति के द्वंद्व में
मन शंकित हो जाता है
भला जुए के खेल में भी
कौन नीति को रखता है
शकुनि ने टेढ़ी चल चली
तो युधिष्ठिर को हट जाना था
छोड़ जुए का खेल उन्हें
उस संगत से उठ जाना था
यदि गलत थे कौरव
तो कौन युधिष्ठिर
उचित ही करते जाते थे
राज्य मोह में भाई-पत्नी
तक को रखते जाते थे
गर नीति स्वरूप सब भाई पर
युधिष्ठिर का हक बनता था
तो नीति दृष्टि से भाई की
रक्षा का दायित्व भी पड़ता था
सत्य और नीति के पथप्रदर्शक
भाई-पत्नी के जंगी थे
यदि कौरव अनीति के साधक थे
तो युधिष्ठिर भी उनके संगी थे..!
- अंकेश वर्मा
मन शंकित हो जाता है
भला जुए के खेल में भी
कौन नीति को रखता है
शकुनि ने टेढ़ी चल चली
तो युधिष्ठिर को हट जाना था
छोड़ जुए का खेल उन्हें
उस संगत से उठ जाना था
यदि गलत थे कौरव
तो कौन युधिष्ठिर
उचित ही करते जाते थे
राज्य मोह में भाई-पत्नी
तक को रखते जाते थे
गर नीति स्वरूप सब भाई पर
युधिष्ठिर का हक बनता था
तो नीति दृष्टि से भाई की
रक्षा का दायित्व भी पड़ता था
सत्य और नीति के पथप्रदर्शक
भाई-पत्नी के जंगी थे
यदि कौरव अनीति के साधक थे
तो युधिष्ठिर भी उनके संगी थे..!
- अंकेश वर्मा