तुमसे मिलना और बिछड़ना अल्लाह ख़ैर
कैसे हो दिन रात संवरना.? अल्लाह ख़ैर.।
तुमसे भी मिल बस खुद से ही बातें की हैं
तुम संग है हालात सुधारना.? अल्लाह ख़ैर.।
तनी हुई तलवार हमारी गर्दन पर है
अब भी है हालात बिगड़ना.? अल्लाह ख़ैर.।
इक-इक कर खो गए यहाँ मनसूब हमारे
खामोशी संग राह विचरना अल्लाह ख़ैर.।
तुमसे बिछड़े हुआ है अरसा मौला जाने
पर अब भी है रात जगन्ना अल्लाह ख़ैर..।।
मनसूब*- संबंधित
जगन्ना*- जागना
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