जी हाँ,
मैं एक उधारू कलमकार हूँ
जैसे उधारू पैसे से
मिलता है सुख
पर शांति नही
खरीद लो मनमाफिक चीजें
पर उनपर संपूर्णता का दावा
उचित नही
कुछ ऐसा ही है
मेरे जीवन में
मैंने वो सब लिखा
जो मुझे लिखना चाहिए
समाज की पीड़ा
देश की क्रांति संग देह की क्रांति
विश्व का प्रेम
जंजीर में जकड़ी स्त्री लिखी
लिखा टूटते और जुड़ते दिलो को
अशिक्षित गाँवों को
माँ के ममत्व को
पिता के झुके कंधे ,
भूखे और लाचार मजदूर को
और राजनीति के कालिख को भी
परन्तु केवल लिखा
किया कुछ नही
न समाज को बदला
न क्रांति का बना भागीदार
न सिखाया प्रेम विश्व को
न लड़ा समानता और स्वतंत्रता खातिर
ये कर पाता
तो संपूर्णता को प्राप्त करता
गर कर पाया तो ये तमगा मिलेगा
किन्तु अब तक जीवन की
मैंने अनगिनत अधूरी कहानियां लिखी
कई बिखरी कविताएं लिखी
जो अपूर्णता का द्योतक है
इसलिए संपूर्णता मिलने तक
मैं उधारू कलमकार हूँ..।
- अंकेश वर्मा
मैं एक उधारू कलमकार हूँ
जैसे उधारू पैसे से
मिलता है सुख
पर शांति नही
खरीद लो मनमाफिक चीजें
पर उनपर संपूर्णता का दावा
उचित नही
कुछ ऐसा ही है
मेरे जीवन में
मैंने वो सब लिखा
जो मुझे लिखना चाहिए
समाज की पीड़ा
देश की क्रांति संग देह की क्रांति
विश्व का प्रेम
जंजीर में जकड़ी स्त्री लिखी
लिखा टूटते और जुड़ते दिलो को
अशिक्षित गाँवों को
माँ के ममत्व को
पिता के झुके कंधे ,
भूखे और लाचार मजदूर को
और राजनीति के कालिख को भी
परन्तु केवल लिखा
किया कुछ नही
न समाज को बदला
न क्रांति का बना भागीदार
न सिखाया प्रेम विश्व को
न लड़ा समानता और स्वतंत्रता खातिर
ये कर पाता
तो संपूर्णता को प्राप्त करता
गर कर पाया तो ये तमगा मिलेगा
किन्तु अब तक जीवन की
मैंने अनगिनत अधूरी कहानियां लिखी
कई बिखरी कविताएं लिखी
जो अपूर्णता का द्योतक है
इसलिए संपूर्णता मिलने तक
मैं उधारू कलमकार हूँ..।
- अंकेश वर्मा