बिखरना किस्मत में था बेचारगी क्यों
बेचारगी मेरी किस्मत पर रोती है
ये कौन कहता है कि वो अकेली हुई
मेरी तन्हाई उसके बिस्तर पर सोती है
उसके किस्सों में उलझकर खफ़ा नही हूँ
कभी-कभी जुदाई भी शगुन होती है
मेरे महबूब की दरो-दीवारें भी जानती हैं
बिछड़कर मैं ही नही गोया भी रोती है...।
©Ankesh verma
बेचारगी मेरी किस्मत पर रोती है
ये कौन कहता है कि वो अकेली हुई
मेरी तन्हाई उसके बिस्तर पर सोती है
उसके किस्सों में उलझकर खफ़ा नही हूँ
कभी-कभी जुदाई भी शगुन होती है
मेरे महबूब की दरो-दीवारें भी जानती हैं
बिछड़कर मैं ही नही गोया भी रोती है...।
©Ankesh verma
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