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ग़ज़ल...🍁

कुछ है जो अरसे से चुभा करता है
मिरा रक़ीब मेंरे लिए दुआ करता है

सामना होने पर आंखें चुराता है
न होऊं तो मुझे ही कहा करता है

रुसवाईयाँ पर भारी है किरदार उसका
हर एक बात से जकड़न को धुआं करता है

है भले मिरे कत्ल के साजिश में मगर
मिलने पर सजदे किया करता है..।

© Ankesh Verma

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ग़ज़ल..🍁

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लाइट कैमरा एक्शन..🍁

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विफलता २

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