कुछ प्रेम भरे आलिंगन हैं
कुछ विरह के मारे क्रंदन हैं
कुछ यादें मीठी-खट्टी हैं
कुछ गीली-पीली चिट्ठी हैं
भर झोली उनको लाया हूँ
मैं प्रेम मांगने आया हूँ..
कुछ सुप्त व्यथा के वन्दन हैं
कुछ प्रेम में भीगे चंदन हैं
जेबों में मेरे कंगन हैं
जो प्रेम-पगे अभिनंदन हैं
दुधमुहे प्रेम का साया हूँ
मैं प्रेम मांगने आया हूँ
पाने को केवल तुम्हें एक
मैं हुआ द्रवित वर्षों अनेक
बस केवल तेरा रूप देख
खो बैठा हूँ अपना विवेक
मैं सहज-व्यक्ति भरमाया हूँ
मैं प्रेम मांगने आया हूँ ।
© अंकेश वर्मा
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